परफॉरमिंग आर्ट्स की अवलोकन विधि से कोरोना काल में सहायता


परफॉरमिंग आर्ट्स की अवलोकन विधि से कोरोना काल में सहायता



हम जानते हैं कि पूरी दुनिया कोरोना की महामारी से जूझ रही है और हर वर्ष हमारा सामना अलग अलग लहर में कोरोना के एक नए रूप से हो रहा है – सरकार द्वारा बताया भी जा रहा है कि छः गज की दूरी बनाएं, मास्क पहनें, हाथों को अच्छी तरह धोएं, कोरोना का टीका करण करें और यह सब हम कर भी रहे हैं किन्तु फिर भी कहाँ चूक हो रही है – बात यहाँ आती है अवलोकन की | आखिर अवलोकन क्या है ?

कलाकारों में कई तरह की आदतें होती हैं जो उन्हें अपने कला को विकसित करने में मदद करती हैं | यहाँ हम अवलोकन का उपयोग करने पर प्रकाश डाल रहे हैं, समस्त कलाकारों को अपने अभ्यास एवं मंच प्रस्तुतीकरण के लिए अवलोकन करना अति आवश्यक होता है | परफोर्मिंग आर्ट्स से जुड़े विद्यार्थियों को भी अवलोकन की विधि सिखाई जाती है |

अवलोकन विधि दो प्रकार की होती है पहली वो जब कलाकार अपने सामने रखी हुयी वस्तु का अवलोकन करता है और दूसरी वो जब उसे अपनी कल्पना के द्वारा उतारकर दर्शकों के सामने प्रस्तुत करना होता है | जैसे एक अभिनेता या नृत्यकार को जब किसी विषय या पात्र पर कार्य करना होता है तो वह उस विषय से जुड़ी समस्त वस्तुयों का अवलोकन करना प्रारंभ करता है, वह उस पर भिन्न भिन्न स्थानों पर जाकर अपनी खोज करता है,पात्र को समझता है, उसपर अध्ययन करता है और अपने विचारों को उसके अंतर्गत ढाल कर मंच पर प्रस्तुत करता है  | वैसे ही एक चित्रकार कोई भी चित्र बनाने के पहले अपनी स्मरण शक्ति का उपयोग कर उसके हर पहलु को बारीकी से देखता है,परखता है और उसके बनावट का अच्छी तरह से अध्ययन कर एक कागज़ पर उससे जुड़ी हुयी कल्पना को उतारता है |

वैसे ही कोरोना को ध्यान में रखते हुए यहाँ भी हमें अवलोकन विधि को अपनाना चाहिए | हमें क्या करना होगा ? इस विधि के अंतर्गत हमें कलाकार के तरह ही अपनी हर गतिविधि का ध्यान रखना होगा | जैसे -

हम छः गज की दूरी तो बना रहे हैं लेकिन हम किस किस से मिल रहे हैं और कैसे मिल रहे हैं यह अवलोकन करना होगा |

हमें ध्यान रखना पड़ेगा कि हम कब मास्क लगाते हैं और कब उतारते हैं, हमारी आदत होती है कि हम बार बार अपने मास्क को छूते हैं पर मास्क को छूने के पश्चात् क्या हम अपने हाथों को सैनेटाईज़ करते हैं |

हम आते से ही पहले मास्क हटाते हैं और फिर अपने कपड़ों को बदलते हैं वो कपडें जो पूरे दिन हमने बहार पहने हुए थे, नजाने कितने किटाणु उसमें लगें होंगे पर हम यह भूल कर कभी कभी घर में भी हर कहीं बैठ जाते हैं या कपड़े बदलते समय जब हम अपने उपर कि तरफ से उन्हें उतारते हैं तो हमारी श्वास के बहाव से वो कीटाणु हमारे भीतर प्रवेश कर लेते हैं |

एक अध्ययन में सामने आया था कि बालों में भी यह किटाणु सबसे पहले घर बनाते हैं पर उन्हें साफ़ करना भी हम भूल जाते हैं |

इन्हीं सब लापर्वाहीयों से कोरोना के होने और इसके फैलने की शुरुवात हो जाती हैं इसी पर हमें ध्यान देना होगा और यह संभव होगा हमारी समस्त गतिविधियों का अवलोकन करने से |

 

  सूरज शर्मा

   एच ओ डी, स्कूल ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स

   सेज यूनिवर्सिटी भोपाल

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